Friday, 26 May 2023

28 मई की जींद रैली और बहनें*

 *🍇28 मई की जींद रैली और बहनें*

  *🌹मेरा रविवार 🌹* पूनम


मैले कपड़े भरे पड़े है,आंगन धूल से अटे पड़े हैं।

कुम्हलाएं -कुम्हलाएं बच्चे, नई जिद़ पर अड़े खड़े।

तेल लगाना हैं बालों में,रूखे अलक झड़ रहे हैं।

माहवारी की जटिल वेदना,पुरे तन में बल पड़े हैं।

घड़ी  के कांटों सा जीवन मेरा,पति भी बात बात पर उलझ रहे हैं।

सखी-सहेली की प्लानिंग,सांस ससुर की मान मनौती।

मां बाप की बाते कितनी,बीच भंवर में लटक रही है।

पर ये जींद की रैली बहनों,मन मस्तिष्क में खटक रही है।


रोजगारहीन का कैसा जीवन?

शिक्षा बिन कुम्हलाता जीवन?


बिन पेंशन कच्ची नौकरी में कैसे घर चलाऊंगी?

दिन दिन गिरती सेहत मेरी, मुस्तैदी से दवा कहां से लाऊंगी?

*🌷बस मैंने सोच लिया है🌼*

28 मई का रविवार में,अपने हिस्से में लौटाऊंगी।

अपने अधिकारों का मैं साथी,बिगुल स्वयं बजाऊंगी।

मैं रैली में जाऊंगी,सबको ही ले जाऊंगी।


*पूनम* जिला उप प्रधान सर्व कर्मचारी संघ फतेहाबाद


*महिलाओं के लिए निजीकरण* .…

*आकस्मिक अवकाश नहीं*

*मातृत्व अवकाश नहीं*

*चाइल्ड केयर लीव नहीं* 

*लड़कियों की फीस माफ नहीं*

*रोजगार की सुरक्षा नहीं*

*पूरा वेतन नहीं*

हां है पता है क्या? नौकरी में बने रहने की शर्तें 

*शारीरिक शोषण*

*मानसिक प्रताड़ना*

प्राइवेट गाड़ी,बस की बजाय हम सरकारी बस में क्यों सुरक्षित महसूस करती है,बस वहीं सब कुछ।

 *अब सोचिए जरा महिलाओं के लिए सार्वजनिक क्षेत्र का महत्व व इसे बचाने की लड़ाई में भागीदारी की जरूरत?????* 

# *28 मई, जींद रैली*

अलका हिसार

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